सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

धोखेबाज नेताओ

धोखेबाज नेता 

ओ संसद में बैठे धोखेबाज नेताओं ,

एक बात तुम जरा मुझे बतलाओ ।

क्या खुद किए सारे वादे भुल गए ?

या अपनी लाज-शर्म धुलकर पी गए ।।

मुझे लगता खुद को तुम भारत देश का ,

मालिक समझ अहंकार मे है टूल गए ।।


ये भुल मत की जनता देश के मालिक है,

जिसने ताज पहना बैठाया तुझे गद्दी पर,

वही गिराया है कितनो को मुंह के बल ।।

क्यों पोत रहा कालिख अपने मुख पर ,

जिम्मेदारी को ठोकर मार, मनमानी जारी है।।


जो किया तेरा उद्धार कर रहा उसपे अत्याचार ,

कभी लाठियां वर्षा कर,कभी गोला फेंकवा कर 

क्या यही तेरी जिम्मेवारी है या तुम अत्याचारी है?

हम जनता की भी इसमें भी बड़ी भागेदारी है ,

कभी जाती भेद भाव का पाठ पढ़ाकर -

बड़ी-बड़ी लालच दिलाकर, बहलाकर फुसलाकर,

भोले जनता को मूर्ख बनाकर तुम सत्ता पाते हो।।


जिस दिन बिन बंटवारे, एक होकर आवाज उठाएं,

तुम्हारे किए सभी वादे गिनवाए और पूरे करवाएं ।

मुकरे वादे से, तो कालिख पोत चौराहे पर घुमाए,

फिर होश में आओगे, झूठे वादे करना भूल जाओगे ।।


एक बात जरा सत्ता में बैठे सभी नेता समझ जाओ, 

खुद के लापरवाही से, जब खुद पर सवाल पाते हो -

बीती बाते सुनाते हो, अब तक जो हुआ गिनाते हो ।।

फिर क्यो आज तुझे जनता सत्ता में लाकर बैठाया?

तेरे वादों को सुनकर विचार बनाया तब जिताया ,

जनता मूर्ख नहीं बस भोला है, गलती नहीं दोहराएगा।

वोट के समय किए वादे से, नहीं बहला फुसला पाएगा ।

अब भी सुधर जाओ नहीं तो मुंह के बल गिराएगा।।

       

                                        अमित कुमार वंशी 





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