गुरुवार, 25 सितंबर 2025

मेहनत का फल क्यों नहीं?

किताबों के संग बिताए है ,

ज़िन्दगी के कितने साल,

हर लफ़्ज़ को पूजा समझा,

हर पन्ना था मेरे लिए कमाल।


सुबह से शाम तक पड़ता रहा ,

सपनों को रंगीन बनाता रहा,

उम्मीद थी एक उजली सुबह की,

पर हर मोड़ पर अंधेरा ही पाता रहा।


डिग्रियां तो दीवार पे सजी हैं,

पर जेबें आज भी खाली हैं,

सपने तो हैं मगर टूट चुके,

उम्मीदें भी अब सवालों में पली हैं।


जो मेहनत हमने किया निरन्तर,

उसका फल अबतक क्यों नहीं आया?

क्यों हालात ने मेरा मज़ाक उड़ाया,

क्यों किस्मत ने ऐसा दिन दिखाया?


आज वही साथी, जो कभी पढ़ाई छोड़ गए,

रोज़गार के रास्तों में आगे निकल गए।

मैं अबतक किताबों में डूबा रहा,

वो जीवन में खुशियां चुन गए।


पर फिर भी मेरा ये दिल कहता है,

हारना नहीं, निरंतर चलते रहना है,

सपनों की राहें है कठिन सही,

मगर उम्मीद को जलते रहना है।


क्योंकि मंज़िल देर से ही सही,

मगर मेहनत का एक दिन सम्मान होगा,

मेरी तपस्या का हर एक आंसु 

एक दिन इंसाफ़ का जरूर प्रमाण होगा।

                             अमित कुमार वंशी                         

रविवार, 14 सितंबर 2025

हिंदी दिवस


आज हिंदी दिवस है,

हर कोई शान से लिखता है,

कविता, शायरी और गजल,

भाषा का मान बढ़ता है प्रवल।


जब बीत जाता आज का पल 

कल करे कोई फिर यही पहल 

तो कुछ चेहरे अनसुने करते हैं,

कान खुद-ब-खुद बहरे हो जाते हैं।


सिर्फ किताबों के पन्नों पर ही 

ये शब्दों का मान रह जाता है,

मंच पर उभरने का सपना

अक्सर बेमान ही रह जाता है।


हम रचनाकार भी तो इंसान है,

सिर्फ सम्मान की आस लगाए बैठे है,

हमारी कविता में खुदकी एहसास हैं,

शब्दों में हमारी आत्मा की  धुन है।


हां है सम्मान यहां भी कुछ के नाम 

चाहे करे बड़ा या छोटा रचनात्मक काम 

जो अक्सर दूसरों को मौका नहीं देते,

उभरते स्वर दबाकर अपनी झंडा गाड़ते।


क्यों वो भूल जाते है अक्सर कि

एक दिन हर पेड़ कभी बीज ही था,

यहां जन्मे हर रचनाकार कभी

संकोच से भरा नवसीखिया ही था।


आओ, मंच बाँटें, सबको मौका दें,

हर एक एक कलम को खुलने दें,

हिंदी तभी पूरी जग में महान बनेगी

जब हर किसी को यहां सम्मान मिलेगी।

                               अमित कुमार वंशी           



मिट्टी से मेरा नाता है

 मिट्टी से मेरा नाता है, धरती माँ से रिश्ता पुराना, बीज में जीवन बोता हूँ, हर मौसम से करता बहाना। मैं कोई बड़ा डॉक्टर नहीं, पर खेत मेरा अस्प...