जब वर्षा आई
तड़-तड़ करके बिजली चमकी,
सर-सर सर-सर चली हवा ।
इतने में ही बादल आ कर,
अंधेरा गगन में छा दिया ।।
देख यह मेंढक को भी,
रहा न गया धरती के अंदर ।
वह भी आकर के उपर ,
लगा करने शोर टर-टर-टर ।।
यह देख किसान का चेहरा,
जोर से खिलखिला उठा।
भाग गई वो सारी दुविधा ,
जिसमें था वो पड़ा रहा ।।
लेकिन बैलों के चेहरे पर,
एक बरी दुविधा आ पड़ी।
चली गई वो सारी खुशियां,
जिसमें था वो सुरक्षित पड़ा।
आ गया गुस्सा बैलों को-
इस लिए मन ही मन बुदबुदा रहा ।।
धरती माँ का भी आंचल था-
इतने दिनों से सुखा पड़ा ।।
आ गई फिर से हरियाली,
आँचल फिर से लहर उठा ।।
छा गई उनके भी चेहरे पर मुस्काई ,
जब उनकी आंचल फिर से लहराई-
जब हरियाली ही हरियाली छाई ।।
अमित कुमार वंशी
😆😁👍अब बैल से जुताई नही रहा अब 🚜 tractor से जुताई होता है
जवाब देंहटाएंBahut aacha
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