अमित कुमार वंशी की कविताएं
(यहां ले जाएं ...)
Home
▼
सोमवार, 3 मार्च 2025
क्या कसूर थी
›
आज मैं करुणा मन से पूछती हूं आपसे सिर्फ बंश बढ़ाने के लिए पैदा हुई थी क्या मै क्या कसूर थी जो इस दलदल में फंसा गए । पापा एक बात आपसे बतलात...
सोमवार, 7 अक्टूबर 2024
धोखेबाज नेताओ
›
ओ संसद में बैठे धोखेबाज नेताओं एक बात तुम जरा मुझे बतलाओ , क्या खुद किए सारे वादे भुल गए या अपनी लाज-शर्म धुलकर पी गए ।। मुझे लगता खुद को ...
शुक्रवार, 9 अगस्त 2024
बूढ़ी माई की बोझ
›
बूढ़ी माई की बोझ चलले बानी एक सफर में , हम बहुत कुछ देख तानी । लेकिन ओहु मे एक खास बा, हम मन ही मन ओके जोह तानी ।। एक बूढ़ी माई बगल...
मंगलवार, 6 अगस्त 2024
पूछती है दुनिया
›
पूछती है दुनियां आंखें लाल देख पुछती है दुनिया, क्या बे तुम पी रक्खा है ।। जबाब दू तो क्या दू जनाब उनसे , काफी है कि मैं इस जहा म...
1 टिप्पणी:
आपकी कमी
›
आपकी कमी आपके न होने की कमी है जैसे कि , अंधेरी रातों में बुझी मोमबत्ती की तरह। रोशनी है जिसकी इतनी कि - चारों ओर उजाला ही उजाला कर...
2 टिप्पणियां:
कोरोना
›
कोरोना कोरोना की यह महामारी है सबको यह सता रही ।। न जात देख कर, न धर्म देख कर, फैल रही लापरवाही देख कर।। फिर क्यो घर की चौख...
2 टिप्पणियां:
परदेशी
›
मै परदेशी मै उनको करता शत - शत प्रणाम, जिस मिट्टी पर जन्मे कितने वीर महान ।। क्यों न उनका परदेशी हु लेकिन, करता हूं मै उनक...
2 टिप्पणियां:
बिहार
›
बिहार अप्पन माटी सबके प्यारी, है हम भी जन्मजात बिहारी ।। कोई राज्य न ऊंच है ना नीच , सबके अप्पन खास पहचान है । वैसे ही बिहार के ...
2 टिप्पणियां:
नशा जीवन में
›
नशा जीवन में हमने सीखा है नशा में जीना यारो , हर नशा की अपनी भाव अलग है।। छोटे उम्र की नशा की दाव अलग है। जिद्द कर पा लेना हर ख्वाहिश...
2 टिप्पणियां:
सोमवार, 5 अगस्त 2024
पापा
›
पापा सूरज की रोशनी जैसे करक होते है पापा , पर वो देख मुझे चिन्तित नरम होते है पापा ।। सहला कर पीठ पर हाथ पकड़ा अंगूली की...
2 टिप्पणियां:
सोच जगत में
›
सोच जगत में सोच बुरी जगत में जिसकी वह बुरा ही कर पाता है। साड़ी दुनिया के सामने हमेशा, वह बुरा ही कहलाता है । पाता है न इज्जत किसे से,...
2 टिप्पणियां:
नए वर्ष
›
नए वर्ष आओ मनाएं खुशियों का त्यौहार, था जिसका सबको कबसे इंतजार । मिटाकर सारी गम और दर्द भरा व्यवहार, मिलकर बनाएं एक खुशहाल स...
1 टिप्पणी:
पेड़ की वाणी
›
पेड़ की वाणी हम मानव के भलाई में, उसके जीवन के उपजाऊ में- आती मै काम हमेशा । बचपन से बुजुर्ग के बाद भी, होती मानव को मेरी आवश्यकता । ...
2 टिप्पणियां:
जब वर्षा आई
›
जब वर्षा आई तड़-तड़ करके बिजली चमकी, सर-सर सर-सर चली हवा । इतने में ही बादल आ कर, अंधेरा गगन में छा दिया ।। देख यह मेंढक को भी, रहा न...
2 टिप्पणियां:
चिड़िया
›
चिड़िया ओ मालिक तू मान जरा, कहना मेरी स्वीकार कर । मत रूलाओ मेरे दिल को, जरा पहले तु विचार कर । तू पावेगा क्या कुछ, मेरे हृदय को घ...
2 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें