अमित कुमार वंशी की कविताएं

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गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

मिट्टी से मेरा नाता है

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 मिट्टी से मेरा नाता है, धरती माँ से रिश्ता पुराना, बीज में जीवन बोता हूँ, हर मौसम से करता बहाना। मैं कोई बड़ा डॉक्टर नहीं, पर खेत मेरा अस्प...
सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

पहली दफा घर से दूर दीवाली

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आज हर घर-घर दीवाली है… पर इस बार मुझे अधूरी सी लगती है, रोशनी तो है चारों ओर हमारे आस पास, पर मन में एक हल्की सी अंधियारी लगती है। पहली बार ...
गुरुवार, 25 सितंबर 2025

मेहनत का फल क्यों नहीं?

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किताबों के संग बिताए है , ज़िन्दगी के कितने साल, हर लफ़्ज़ को पूजा समझा, हर पन्ना था मेरे लिए कमाल। सुबह से शाम तक पड़ता रहा , सपनों को रंगी...
रविवार, 14 सितंबर 2025

हिंदी दिवस

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आज हिंदी दिवस है, हर कोई शान से लिखता है, कविता, शायरी और गजल, भाषा का मान बढ़ता है प्रवल। जब बीत जाता आज का पल  कल करे कोई फिर यही पहल  तो ...
गुरुवार, 14 अगस्त 2025

लीची अनुसंधान कैम्पस

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यहां सिर्फ हरि भरी पेड़ नहीं, हर शाखा पर टंगे बरे-बारे सपने है । यहां मेहनत और प्रकृति मिलकर, अक्सर कई नई-नई कहानी गढ़ते है । फल फूलों की मि...
शनिवार, 26 जुलाई 2025

बेरोजगार

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मत करो तुम अत्याचार  हम है अभी बेरोजगार  खुद को कर रहे है तैयार  लेकिन अभी है हम बेरोजगार सहकर ताने हो रहे होशियार।। तपकर हम इस भवनडर में अभ...
मंगलवार, 22 जुलाई 2025

कुछ रिश्ते अक्सर भुलाए नहीं जाते

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कुछ रिश्ते अक्सर भुलाए नहीं जाते पाकर या खोकर कभी बताए नहीं जाते  संभाल कर रख अपने अंदर आजीवन  किसी मोर पर मिलना तो कभी बिछड़ना  अक्सर ये दर...
गुरुवार, 17 जुलाई 2025

तुझे पाना चाहा

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हमने अक्सर तुमसे बेहतर नहीं  सिर्फ तुम्हे ही अपनाना चाहा। हर मोर पर साथ तेरे बिताना चाहा  हंसकर, रोकर, गाकर, सिर्फ सामने तेरे  वो साड़ी पल क...
गुरुवार, 26 जून 2025

रो मत,जाने दे

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   अब रो मत जाने दे      रो मत , जी लिया मै जिंदगी अपनी । मत रोक मुझे , जाना है अब जाने दे ।। पा लिया है सब कुछ,अब बचा क्या है? भर गया है अब...
गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

छोड़ मुझे बेहतर पाना

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छोड़ मुझे खुश रहना,पर मुझसे बेहतर पाना  जो सह सके तेरे नखरे,जो रह सके आजीवन तेरे  अपने दुःख को भूल कर , पहले दुःख तेरे निवारे  उफ की आवाज सु...
सोमवार, 3 मार्च 2025

हमारी क्या कसूर थी पापा

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आज मैं करुणा मन से पूछती हूं आपसे  सिर्फ बंश बढ़ाने के लिए पैदा हुई थी क्या मै  क्या कसूर थी जो इस दलदल में फंसा गए । पापा एक बात आपसे बतलात...
सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

धोखेबाज नेताओ

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धोखेबाज नेता  ओ संसद में बैठे धोखेबाज नेताओं , एक बात तुम जरा मुझे बतलाओ । क्या खुद किए सारे वादे भुल गए ? या अपनी लाज-शर्म धुलकर पी गए ।। म...
शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

बूढ़ी माई की बोझ

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  बूढ़ी माई की बोझ चलले बानी एक सफर में , हम बहुत कुछ देख तानी । लेकिन ओहु मे एक खास बा, हम मन ही मन ओके जोह तानी ।। एक बूढ़ी माई बगले बैठल ...
मंगलवार, 6 अगस्त 2024

पूछती है दुनिया

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          पूछती है दुनियां  आंखें लाल देख पुछती है दुनिया, क्या बे तुम पी रक्खा है ।। जबाब दू तो क्या दू जनाब उनसे , काफी है कि मैं इस जहा म...
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आपकी कमी

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       आपकी कमी  आपके न होने की कमी है जैसे कि , अंधेरी रातों में बुझी मोमबत्ती की तरह। रोशनी है जिसकी इतनी कि -  चारों ओर उजाला ही उजाला कर...
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