नए वर्ष
आओ मनाएं खुशियों का त्यौहार,
था जिसका सबको कबसे इंतजार ।
मिटाकर सारी गम और दर्द भरा व्यवहार,
मिलकर बनाएं एक खुशहाल संसार।
ना जात पात न भेद भाव है,
है ऐसा यह भाईचारे का त्यौहार।
आया फिर एक वर्षों के बाद
लेकर खुशियों से भरा उपहार ।
अच्छाई को गले लगा बुराई दूर भगाना है,
नई किरण की लाली में तपकर-
उन्नति का परचम लहराना है,
जो पाया नहीं बीते पल उसे इस बार पाना है।
कर नेक कार्य बुरी जगत को भगाएंगे,
लोगों के साथ मिलकर नए वर्ष मनाएंगे।
रूठे लोगों से मिलकर गले फिर से मुस्कुराएंगे ।
उदास लम्हों को भूलकर जीवन सरल बनाएंगे ,
इस वर्ष को पिछले वर्ष से बेहतर बनाएंगे।
अमित कुमार वंशी
Happy new year
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