सोमवार, 5 अगस्त 2024

सोच जगत में

  सोच जगत में 

सोच बुरी जगत में जिसकी 

वह बुरा ही कर पाता है। 

साड़ी दुनिया के सामने हमेशा,

वह बुरा ही कहलाता है । 

पाता है न इज्जत किसे से, 

कही प्यार भी न वो पाता है। 

मजाक उड़ता साड़ी दुनिया उसकी, 

यदि वह कभी कही भी जाता है।


क्यों करे हम बुरा जग में, 

क्यो भरे अपने मन की टब में। 

दुरुपयोगी पानी क्यों भरे, 

भर के ही वह क्या पाता है? 

जब उपभोग ही न कर पाता है।


यदि कभी वह कही भी ,

अच्छी सीख भी दिलाता है। 

कुछ सच-सच भी बतलाता है। 

बुरा ही समझ उसकी बातो को 

मजाक में सभी हंसकर उड़ाता है


ओ मानव, जरा तुम अभी भी, 

छोड़ दो बुरा सोचना जग में। 

नहीं तो तुम कभी भी नहीं, 

कर पाओगे अच्छा इस जग मे 

ये इतनी सुंदर सी जिंदगी भी,

चली जाएगी यू ही वेवजह मे ।


                          अमित कुमार वंशी 

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